स्तनमूल और स्तनरोहित मर्म (Stanamula and Stanarohita Marma)

स्तनमूल मर्म (Stanamula Marma) और स्तनरोहित मर्म (Stanarohita Marma) आयुर्वेद में स्तन और उसके आसपास के अंगों से संबंधित महत्वपूर्ण मर्म बिंदु हैं। ये मर्म बिंदु विशेष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य, खासकर स्तन और सीने से जुड़ी समस्याओं के उपचार में महत्वपूर्ण होते हैं। दोनों मर्म बिंदुओं का सही उपचार शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इन मर्मों का संबंध शरीर में प्रजनन शक्ति, हार्मोनल संतुलन, और स्तन कैंसर जैसी समस्याओं से भी जुड़ा हुआ है।

1. स्तनमूल मर्म (Stanamula Marma)

स्तनमूल मर्म वह मर्म बिंदु है जो स्तन के नीचे के भाग में स्थित होता है। यह बिंदु स्तन और उसके आसपास के ऊतकों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। यह मर्म बिंदु प्रजनन प्रणाली, हार्मोनल संतुलन और रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्थान:

  • स्तनमूल मर्म स्तन के नीचे और छाती की हड्डी के आसपास के क्षेत्र में स्थित होता है।
  • यह मर्म बिंदु स्तन के ऊपरी हिस्से के निचले भाग और रीढ़ के मध्य में पाया जाता है।

लाभ और उपचार:

  1. स्तन संबंधित समस्याएँ (Breast-related Issues):

    • स्तनमूल मर्म पर दबाव डालने से स्तन में रक्त संचार सुधरता है, जिससे स्तन के आकार और लचीलापन में सुधार हो सकता है।
    • यह मर्म स्तन में सूजन, गांठ और दर्द को कम करने में सहायक होता है।
  2. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance):

    • इस मर्म के उत्तेजन से हार्मोनल संतुलन को सुधारने में मदद मिलती है।
    • यह महिलाओं के मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में सहायक हो सकता है और प्रजनन प्रणाली को मजबूत करता है।
  3. स्तन कैंसर का रोकथाम (Prevention of Breast Cancer):

    • स्तनमूल मर्म पर उपचार से स्तन के ऊतकों का स्वस्थ रहना सुनिश्चित होता है, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  4. सांस संबंधी समस्याएँ (Breathing Issues):

    • यह मर्म बिंदु सीने के क्षेत्र में रक्त संचार को बेहतर करता है, जिससे श्वसन क्रिया में सुधार होता है।
    • यह सीने में अवरोध को दूर करता है और सांस लेने में सुविधा प्रदान करता है।

2. स्तनरोहित मर्म (Stanarohita Marma)

स्तनरोहित मर्म वह मर्म बिंदु है जो स्तन के ऊपरी भाग और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्थित होता है। यह मर्म बिंदु शरीर के आंतरिक अंगों, खासकर हृदय और श्वसन प्रणाली से जुड़ा होता है। इस मर्म का उपचार हार्मोनल असंतुलन, रक्त प्रवाह, और मानसिक शांति में सुधार करने में सहायक है।

स्थान:

  • स्तनरोहित मर्म स्तन के ऊपरी हिस्से में, हड्डी के पास और श्वसन मार्ग के पास स्थित होता है।
  • यह मर्म बिंदु स्तन के बाहरी किनारे और कंधे के नजदीक पाया जाता है।

लाभ और उपचार:

  1. सीने में तनाव (Chest Tension):

    • स्तनरोहित मर्म का उपचार सीने की मांसपेशियों में तनाव को कम करने में मदद करता है।
    • यह मर्म बिंदु सीने में किसी भी प्रकार की जकड़न या तनाव को हल्का करता है, जिससे श्वसन में सुविधा होती है।
  2. हृदय संबंधी समस्याएँ (Heart-related Issues):

    • इस मर्म बिंदु का उत्तेजन हृदय की धड़कन को नियमित करने में सहायक हो सकता है और रक्त संचार में सुधार करता है।
    • यह हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और उच्च रक्तचाप की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  3. सांस संबंधी समस्याएँ (Respiratory Issues):

    • यह मर्म बिंदु श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है और अस्थमा जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करता है।
    • यह मर्म सीने की सांस नलिकाओं को खोलता है और शरीर में अधिक ऑक्सीजन का संचार करता है।
  4. मनोबल और मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health and Mood Boosting):

    • स्तनरोहित मर्म का उपचार मानसिक थकान, अवसाद और तनाव को कम करने में मदद करता है।
    • यह मर्म बिंदु शांति और सुकून देने वाले हार्मोन को उत्तेजित करता है, जिससे मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  5. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance):

    • स्तनरोहित मर्म महिलाओं के हार्मोनल संतुलन को सुधारने में मदद करता है, विशेष रूप से मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं में।
    • यह प्रजनन प्रणाली को सक्रिय करता है और महिलाओं में रजोनिवृत्ति के लक्षणों को नियंत्रित करता है।

स्तनमूल और स्तनरोहित मर्म के उपचार के तरीके:

  1. मालिश और तेल का उपयोग:

    • इन मर्म बिंदुओं पर हल्के दबाव के साथ मालिश की जा सकती है, जिससे रक्त प्रवाह और ऊर्जा का संचार बढ़ता है।
    • तिल, नारियल या हर्बल तेल का उपयोग इन मर्मों के इलाज में किया जा सकता है।
  2. प्राणायाम और योग:

    • प्राचीन योग आसन जैसे सर्वांगासन, भुजंगासन, और पद्मासन का अभ्यास इन मर्मों के उपचार में मदद करता है।
    • प्राणायाम (अनुलोम-विलोम और कपालभाति) भी इन मर्मों को सक्रिय करने में सहायक होते हैं और मानसिक शांति में योगदान करते हैं।
  3. शिरोधारा:

    • शिरोधारा एक आयुर्वेदिक उपचार विधि है जिसमें तेल या हर्बल मिश्रण सिर पर बहाया जाता है, जो मानसिक शांति और शारीरिक संतुलन को बढ़ाता है।
  4. सांस लेने की तकनीक:

    • गहरी श्वास लेने की तकनीकें (दीप ब्रीदिंग) भी इन मर्मों पर प्रभाव डाल सकती हैं और श्वसन प्रणाली को सुधार सकती हैं।

विशेष सावधानियाँ:

  • मर्म बिंदुओं पर अत्यधिक दबाव न डालें: स्तनमूल और स्तनरोहित मर्म पर बहुत अधिक दबाव न डालें, क्योंकि यह संवेदनशील मर्म बिंदु हैं।
  • रजोनिवृत्ति की अवस्था में विशेषज्ञ से सलाह लें: यदि किसी को रजोनिवृत्ति की समस्या है, तो इन मर्मों का उपचार करने से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लें।
  • किसी गंभीर स्तन समस्या के लिए चिकित्सक से संपर्क करें: यदि स्तन में किसी प्रकार की गांठ, दर्द या अन्य गंभीर समस्याएं हो, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और आयुर्वेदिक उपचार को सहायक के रूप में लें।

निष्कर्ष: स्तनमूल और स्तनरोहित मर्म महिलाओं के स्वास्थ्य को संतुलित करने, हार्मोनल समस्याओं को नियंत्रित करने, और श्वसन तथा हृदय संबंधी समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं। इन मर्मों का सही उपयोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है।

स्तनरोहित मर्म

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