अम्सफलक मर्म (Amsaphalaka Marma)

आयुर्वेद में अम्सफलक मर्म एक प्रमुख मर्म बिंदु है, जिसका संबंध कंधे और ऊपरी पीठ के स्वास्थ्य से होता है। यह मर्म बिंदु कंधों के ऊपर के हिस्से में स्थित होता है और इसे कंधे के ब्लेड या स्कैपुला से जोड़कर देखा जाता है। अम्सफलक मर्म का महत्व कंधे, गर्दन और ऊपरी पीठ की गतिशीलता, सहनशीलता और ताकत को संतुलित करने में है। इस मर्म बिंदु पर ध्यान देकर विभिन्न मांसपेशीय और तंत्रिका संबंधी समस्याओं में सुधार किया जा सकता है।

अम्सफलक मर्म का स्थान

अम्सफलक मर्म कंधे के ब्लेड (स्कैपुला) के ऊपरी हिस्से में स्थित होता है। यह मर्म दोनों कंधों के पीछे, स्कैपुला के बीच के ऊपरी क्षेत्र में पाया जाता है। इसे स्पर्श करने पर कंधे के ब्लेड की हड्डियों और मांसपेशियों के बीच महसूस किया जा सकता है।

अम्सफलक मर्म का महत्व

अम्सफलक मर्म का मुख्य संबंध कंधे, गर्दन और ऊपरी पीठ के नसों और मांसपेशियों से होता है। यह मर्म कंधों की गतिशीलता, सहारा और ऊपरी शरीर की शक्ति को संतुलित करने में सहायक है। अम्सफलक मर्म के स्वस्थ रहने से कंधों और गर्दन में लचीलापन बना रहता है और दर्द, खिंचाव या अन्य मांसपेशीय समस्याओं से बचाव होता है।

अम्सफलक मर्म के लाभ और इसके रोगों में उपयोग

अम्सफलक मर्म पर उपचार से कई प्रकार के रोगों में लाभ मिल सकता है। निम्नलिखित समस्याओं में अम्सफलक मर्म चिकित्सा लाभकारी मानी जाती है:

  1. कंधे का दर्द (Shoulder Pain):

    • अम्सफलक मर्म पर हल्का दबाव देने से कंधे के दर्द में राहत मिलती है।
    • यह मर्म कंधों की मांसपेशियों के तनाव और खिंचाव को कम करने में सहायक होता है।
  2. गर्दन का दर्द (Neck Pain):

    • अम्सफलक मर्म का संबंध गर्दन की नसों से भी होता है, इसलिए इस मर्म पर ध्यान देकर गर्दन के दर्द को कम किया जा सकता है।
    • यह मर्म गर्दन की मांसपेशियों को आराम प्रदान करता है और लचीलापन बढ़ाता है।
  3. जोड़ों में अकड़न (Joint Stiffness):

    • अम्सफलक मर्म का उपचार कंधे और गर्दन के जोड़ में लचीलेपन को बढ़ाता है।
    • यह मर्म बिंदु अकड़न को कम करता है और कंधों के जोड़ को सक्रिय बनाए रखता है।
  4. कंधों और पीठ के बीच दर्द (Pain Between Shoulder Blades):

    • अम्सफलक मर्म पर ध्यान देकर कंधों के बीच की मांसपेशियों में आराम मिलता है और पीठ दर्द में राहत मिलती है।
    • यह मर्म ऊपरी पीठ के तनाव को कम करता है और मांसपेशियों को आराम देता है।
  5. तनाव और चिंता में कमी (Reduction in Stress and Anxiety):

    • अम्सफलक मर्म पर दबाव देने से मानसिक तनाव और चिंता में कमी आती है।
    • यह मर्म बिंदु तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और मन को शांति और संतुलन बनाए रखता है।
  6. खराब मुद्रा सुधारने में सहायक (Improvement in Posture):

    • अम्सफलक मर्म पर ध्यान देकर खराब मुद्रा (पोश्चर) में सुधार किया जा सकता है।
    • यह मर्म कंधे और पीठ के मांसपेशियों को मजबूत करता है और पीठ को सीधा रखने में सहायक होता है।
  7. रीढ़ की हड्डी में लचीलापन (Flexibility in Spine):

    • अम्सफलक मर्म के उपचार से रीढ़ की हड्डी के ऊपरी हिस्से में लचीलापन बढ़ता है।
    • यह मर्म ऊपरी पीठ और रीढ़ की नसों को सक्रिय बनाए रखता है।

अम्सफलक मर्म के उपचार के तरीके

अम्सफलक मर्म पर उपचार के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं:

  1. हल्की मसाज और दबाव: अम्सफलक मर्म के बिंदु पर हल्का दबाव देने और मसाज करने से यह मर्म बिंदु सक्रिय होता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है।
  2. तिल का तेल या नारियल तेल से मालिश: तिल का तेल या नारियल का तेल इस मर्म बिंदु पर हल्की मसाज के लिए उपयोगी होता है, जिससे मांसपेशियों का तनाव कम होता है और रक्त प्रवाह में सुधार होता है।
  3. योग और स्ट्रेचिंग: गरुड़ासन, मत्स्यासन, और ग्रीवा संचालन जैसे योगासन कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करने में सहायक होते हैं।
  4. गर्म पानी से सिकाई: अम्सफलक मर्म पर हल्की गर्माहट देने से मांसपेशियों में आराम मिलता है और जोड़ों का दर्द कम होता है।

विशेष सावधानियां

  • हल्का दबाव बनाए रखें: अम्सफलक मर्म पर बहुत अधिक दबाव न डालें, क्योंकि यह एक संवेदनशील मर्म बिंदु है।
  • आरामदायक मुद्रा में रहें: अम्सफलक मर्म पर उपचार करते समय आरामदायक मुद्रा अपनाएं ताकि मर्म बिंदु पर दबाव सही से लगाया जा सके।
  • कंधे की चोट हो तो मर्म उपचार न करें: यदि कंधे में चोट या कोई अन्य समस्या है, तो इस मर्म बिंदु पर दबाव न डालें और पहले चिकित्सक से सलाह लें।

अम्सफलक मर्म का उपचार आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही किया जाना चाहिए ताकि इससे अधिकतम लाभ मिल सके और किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।

अम्सफलक मर्म

Scroll to Top